अब नहीं कहेंगे तुझसे तू लौट आ
मोह्हबत थो तूने भी की थी कभी हमसे
हो अगर आज भी मोह्हबत मुझसे
तो खुद लौट आएगा तू...



वो मौसम था बरसात का
तुमसे मिली थी मै ऐ एक इंतफ़ाक़ सा था
वादा किया था तुमने साथ रहोगे
धोखा थो बिछड़ने का जरिया सा था...



वो कहता था हमे नफरत है झूट और धोके से
जनाब भरोसा थो हमे भी था आपके वादे पे
जो कभी हमसे किये थे तुमने
थो क्यों हो आज किसी और के बहो में...




आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए,
 महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
 करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो,
 पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए!